16 अप्रैल 2018

हे! परमपिता, है यक्ष प्रश्न... (गीतिका)

छंद-द्विगुणित पदपादाकुलक (राधेश्यामी) चौपाई
पदांत- बता
समांत- आह
हे! राम-कृष्ण, हे! जगत्पिता, तू ही हम सबको राह बता.
रहते जो दहशत में कैसे, शांति से करें निर्वाह बता.

हैं लूट रहे भयमुक्त अभी, भारत को अपने लोग सभी,
सब अर्थव्यवस्था चौपट है, निर्धन का खैरख्व़ाह बता.

बेटी न सुरक्षित गर्भों में, कन्‍या भी' कई संदर्भों में,
मिलता कलंक जो छिपे नहीं, तब कैसे करें विवाह बता.

अब भ्रष्ट हुई हैं आस्थाएँ, बेबस हैं न्याय व्यवस्थाएँ.
इस भ्रष्टतंत्र पर अब तेरी, कब होगी वक्र निगाह बता.

आरक्षण, वर्ण-व्यवस्था अब, कब आएँगी पटरी पर अब,
हे! परमपिता, है यक्ष प्रश्न, हो जाये’ न देश तबाह बता.

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