21 अक्तूबर 2017

चक्र सुदर्शनधारी ने ही, रचवाई यह रचना है. (गीतिका)



पदांत- है
समांत- अचना

सुख सत्‍कर्मों से मिलता है, दुष्‍कर्मों से बचना है.  
चक्र सुदर्शनधारी ने ही,  रचवाई यह रचना है.

जग की कर संरचना ब्रह्मा ने, जगती को सौंप दिया,
और नियति पर छोड़ दिया, मानव किस रूप विरचना है.   

शिव को दी संहार शक्ति, मानव को मिली बुद्धिमत्‍ता,
जिसको केवल मृत्यु विजय के, हेतुक अब भी पचना है.

जन्‍म-मृत्‍यु, लालन-पालन के, ये तीनों प्रबंधकर्ता,
शेष सभी गण, अभिकर्ता हैं, रौरव इनसे मचना है.

भाग्‍य, अहम्, डर, विधना, होनी, करनी के हैं खेल बिछे,
इन बिसात पर सुख-दुख की होती हर-दम संरचना है.   

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